Multisystem Inflammatory Syndrome : बच्चों में सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी

मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम क्या है? जिसको लेकर डॉक्टर से लेकर आम लोग तक है टेंशन में,बच्चों को है इसे खतरा भारत देश में पहले से ही कोरोनावायरस और फंगल इन्फेक्शन(fungal infarction) जैसी बीमारियों से लड़ रहा है।

हर एक दिन इनके काफी केस सामने आते जा रहे हैं। और यह बीमारियां कई लोगों की जान भी ले रही है.लेकिन इन सबके बीच बच्चों को लेकर डॉक्टर और आम लोगों की चिंता बढ़ गई है क्योंकि मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम यानी MIS-C चिंता का विषय बन गया है.और सबसे हैरानी की बात यह है कि यह बच्चों को अपना शिकार बनाता है। डॉक्टर का कहना है कि यह क्रोना से संक्रमण होने की 4 से 6 सप्ताह के बाद बच्चों के शरीर में आना शुरू हो जाता है।

क्या है MIS-C?

दरअसल, मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम यानी MIS-C होने का खतरा उन बच्चों में होता है, जो कोरोना वायरस (corona virus) महामारी से उबरे होते हैं और कई सप्ताह बाद इसे इन बच्चों में देखा गया है।

हालांकि, ये सिंड्रोम (syndrome) रेयर है और ये तब होता है जब कोरोना का संक्रमण खत्म हो जाता है और कोरोना के खिलाफ एक बच्चे के शरीर में एंटीबॉडी (antibody) विकसित हो जाती हैं जो बच्चे के शरीर के आंतरिक अंगों में एलर्जी की प्रतिक्रिया देना शुरु कर देते हैं।

बच्चों के इन अंगों को कर सकता है सबसे जादा प्रभावित

डॉक्टर्स का मानना है कि वो नहीं कह सकते कि मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (multisystem inflammatory syndrome) कितना खतरनाक है, लेकिन वो ये जरूर कह सकते हैं कि संक्रमण (infection) निश्चित रूप से बच्चों को बुरी तरह से प्रभावित करता है। यही नहीं ये मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम बच्चों के हृदय, गुर्दे और लीवर को बुरी तरह से प्रभावित (influenced) कर सकता है।

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