Pigmentation : जानें पिगमेंटेशन के प्रकार, त्वचा में बढ़ रहे पिगमेंटेशनको ना करें नजरअंदाज

Remove Face Pigmentation Naturally

बेदाग खूबसूरत स्किन कौन नहीं चाहता पर आज कल की अनहेल्दी लाइफस्टाइल में ये काम करना थोड़ा सा मुश्किल है। दरअसल, बेकार लाइफस्टाइल, अनहेल्दी आदतों और बढ़ते पोल्यूशन के चलते हमारी स्किन दिन पर दिन खराब होते जा रही है। इसके चलते हमें स्किन से जुड़ी कई दिकतो का सामना करना पड़ रहा है। पिगमेंटेशन  (pigmentation on face) एक ऐसी ही समस्‍या है हमारी, जिसमें स्किन असान रंगत वाली दिखने लगती है। इसे पिगमेंटेशन या हायपरपिगमेंटेशन (hiper pigmentation) भी कहा जाता है। इस समस्‍या में स्किन का कुछ हिस्‍सा सामान्‍य से गहरा रंग का हो जाता है। और कई बार त्‍वचा पर धब्‍बे भी पड़ जाते हैं।  


पिगमेंटेशन के प्रकार

1. मेलेसमा 

स्किन की यह समस्‍या ज्यादातर व्‍यस्‍कों(adults)में देखने को मिलती है। इसमें चेहरे पर भूरे रंग के धब्‍बे उभर आते हैं। चेहरे के जिस हिस्‍से पर मेलेसमा के निशान सबसे अधिक नजर आते हैं, उनमें नाक, गाल, उपरी होठ और माथा शामिल होता है। इस समस्‍या से पीड़ि‍त(the victim)होने वाले लोगों में पुरुषों की संख्‍या केवल दस फीसदी होती है। गर्भनिरोधक गोलियों(birth control pills) का सेवन करने वाली महिलाओं में यह समस्‍या सबसे अधिक देखी जाती है। अगर वे महिलायें सूर्य की रोशनी में ज्यादा वक्‍त बितायें तो उनकी समस्‍या बढ़ती जाती है। गर्मियों के दिनों में यह समस्‍या काफी ज्यादा होती है।

2. पुल्टिस

कुछ गर्भवती महिलाओं(pregnant women) की स्किन में मेलानिन का उत्‍पादन काफी अधिक होने लगता है। इस स्थिति को in Chlos (पुल्टिस) कहा जाता है। कुछ लोग इसे 'माक्‍स ऑफ प्रेग्‍नेंसी' (max of pregnancy) भी कहते हैं। यह निशान आमतौर पर महिलाओं के पेट और उनके चेहरे के आसपास नजर आते हैं। यह निशान काफी बड़े जगह में फैल सकते हैं और सूर्य की रोशनी में अधिक वक्‍त बिताने से यह समस्‍या बढ़ सकती है।

3. सन डैमेज

ढलती एज के निशानों को कई बार 'लिवर स्‍पॉट'(liver spot)भी कहा जाता है। यह भी पिगमेंटेशन का ही एक प्रकार है। सूर्य की हानिकारक अल्‍ट्रा वायलेट किरणों(UV) से स्किन को काफी ज्यादा नुकसान होता है। इस समस्‍या का सबसे बड़ा कारण सूर्य की रोशनी में अधिक वक्‍त बिताना।

4. झाइयां

यह भी स्किन से जुड़ी एक सामान्‍य प्रॉब्लम है। इसमें स्किन पर कुछ निशान पड़ जाते हैं। हमारी इस समस्‍या को वंशानुगत(hereditary)भी माना जाता है। इससे जल्‍द से जल्‍द निजात पायी जानी चाहिए।

5. पीआईएच

पीआईएच (post-inflammatory hyperpigmentation) यानी पोस्‍ट इंफ्लेमेटरी हायपरपिगमेंटशन की प्रॉब्लम आमतौर पर स्किन पर किसी प्रकार की चोट के बाद ही नजर आती है। यह प्रॉब्लम एक्‍ने के निशानों और स्किन पर अन्‍य किसी प्रकार के घावों के बाद ज्यादा मुखर(outspoken) हो जाती है। इसके साथ ही लेजर थेरेपी(lazer therephy) से होने वाले नुकसान के चलते भी यह समस्‍या सामने आ सकती है।  

तो, ये थे पिगमेंटेशन(pigmentation) के प्रकार और इन सभी से बचने का एक उपाय ये है कि पहले तो आप अपनी लाइफस्टाइल सही करें, और अच्छे से डाइट लें, एक्सरसाइज करें ताकि आपको पिगमेंटेशन की दिक्कत न हो।

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