आपने आजकल न्यूज़ में देखा होगा की लोग अचानक कार्डियक अरेस्ट से मर जा रहे है। इसके पीछे का कारन है हाइपरटेंशन। चलिए हम आपको बताते है की हाइपरटेंशन क्या है ? किन कारणों से होता है। हम इससे सावधानी कैसे बरत सकते है ? दरअसल ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) के नाम से भी जाना जाता है। हमारे शरीर में मौजूद खून नसों में लगातार दौड़ता रहता है और इसी खून के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक enery और पोषण के लिए जरूरी ऑक्सीजन, ग्लूकोज, विटामिन्स, मिनरल्स आदि पहुंचते हैं ।
ब्लड प्रेशर उस दबाव को कहते हैं, जो रक्त प्रवाह की वजह से नसों की दीवारों पर पड़ता है। Heart कितनी गति से रक्त को पंप कर रहा है और रक्त को नसों में प्रवाहित होने में कितने हर्डल्स का सामना करना पड़ रहा है आमतौर पर ब्लड प्रेशर इस बात पर निर्भर करता है । मेडिकल गाइडलाइन्स के अनुसार 130/80 mmHg से ज्यादा ब्लड का प्रेशर हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर मना जाता है।
हाइपरटेंशन के कारण भारत में हर साल लगभग कई लोग मरते हैं जबकि विश्वभर में ये आंकड़ा करोड़ों लोगों का है। इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी भी दे रखी है। चेतावनियों के बावजूद खराब lifestyle और unhealty खान-पान के हाइपरटेंशन की मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हाइपरटेंशन से सबसे ज्यादा खतरा हृदय यानि दिल को होता है। जब ह्वदय को संकरी या सख्त हो चुकी blood vessels के कारण पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता तो सीने में दर्द होने लगता है। ऐसे में अगर खून का बहाव रुक जाए तो हार्ट-अटैक या कार्डियक अरेस्ट भी हो सकता है।
हाइपरटेंशन का किन कारणों से होता है।
यह मुख्यतः दो कारणों से होता है :-
- प्राथमिक या प्राइमरी हाइपरटेंशन - प्राइमरी हाइपरटेंशन ज्यादातर युवाओं में पाया जाता है और इसका कोई खास कारण नहीं होता है बल्कि लगातार irregular lifestyle की वजह से ये धीरे-धीरे समय के साथ हो जाता है। इस तरह के ब्लड प्रेशर की बीमारी का कारण बहुत आम होता है जैसै- मोटापा, नींद की कमी, तैलीय पदार्थों और अस्वस्थ खान-पान, अत्यधिक गुस्सा करना, मांसाहारी भोजन का अधिक सेवन, तनाव इत्यादि।
- द्वितीय या सेकेंडरी हाइपरटेंशन - सेकेंडरी हाइपरटेंशन वो है जो शरीर में स्थित पुराने रोग के कारण होता है । सामान्यतः सेकेंडरी हाइपरटेंशन के निम्न कारण होते हैं। किडनी का कोई रोग, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया, थायरॉइड की समस्या, एड्रीनल ग्लैंड ट्यूमर, गर्भनिरोधक दवाओं का अधिक सेवन, सर्दी-जुकाम और दर्द की दवाओं का अधिक सेवन, अनुवांशिक कारणों से नसों में कोई खराबी, शराब, सिगरेट, ड्रग्स आदि का नशा करने से यह बीमारी होती है।
हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) के लक्षण क्या होते है ?
हाई ब्लड प्रेशर के शुरूआती लक्षण में रोगी के सिर के पीछे और गर्दन में दर्द रहने लगता है। लोग इस तरह की परेशानी को नजरअंदाज कर देते है, जो आगे चलकर गंभीर समस्या बन जाती है। आगे चलकर यही गंभीर समस्या हाई ब्लड प्रेशर का रूप ले लेती है । वही इसके अन्य लक्षण
- तनाव होना
- सिर में दर्द
- सांसों का तेज चलना और कई बार सांस लेने में तकलीफ होना
- सीने में दर्द की समस्या
- आंखों से दिखने में परिवर्तन होना जैसे धुंधला दिखना
- पेशाब के साथ
- खून निकलना
- सिर चकराना
- थकान और सुस्ती लगना
- नाक से खून निकलना
- नींद न आना
- दिल की धड़कन बढ़ जाना
कई बार कुछ लोगों में उच्च रक्तचाप से संबंधित कोई भी लक्षण नजर नहीं आता। उन्हें इस बारे में चेकअप के बाद ही जानकारी होती है।
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण दिखाई न देना किडनी और हार्ट के लिए घातक हो सकता है इसलिए अगर आपको लगातार थकान या आलस जैसी सामान्य समस्या भी है, तो अपना ब्लड प्रेशर जरूर जांच करवाएं।
हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) के खतरे बारे में जानें
अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हैं तो आपको इससे संबंधित कई खतरे है । हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीज को दिल के दौरे और दिल संबंधित बीमारियों के होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। इसके अलावा इस समस्या वाले लोगों को कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज का भी खतरा बना रहता है । हाई ब्लड प्रेशर के कारण कई अन्य बीमारियां होने की संभावना बनी रहती है। हाई ब्लड-प्रेशर में रोगी की याद्दाश्त पर भी असर पड़ सकता है, जिसे डिमेंशिया कहा जाता है। इसमें रोगी के मस्तिष्क में खून की मात्रा कम हो जाती है, और मरीज की सोचने-समझने की क्षमता घटती जाती है।
हाई ब्लड-प्रेशर के कारण किडनी की blood vessels संकरी या मोटी हो सकती हैं। इसके कारण आंखों की रोशनी कम होने जाती है कभी कभी मरीज को धुंधला दिखाई देने लगता है।
हाइपरटेंशन का हार्ट पर प्रभाव
यह हृदय को ब्लड पहुंचाने वाली धमनियों को सख्त अथवा मोटा कर देता है। जिससे उनकी चौड़ाई कम हो जाती है। परिणामस्वरूप हृदय को उचित मात्रा में रक्त नहीं मिल पाता और एन्जिनिया, हार्ट डिजीज और कोरोनेरी हार्ट डिजीज होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।इससे हार्ट अटैक भी आ सकता है।
उच्च रक्तचाप हृदय पर काफी दबाव बनाता है। इससे हृदय को सामान्य की अपेक्षा अधिक काम करना पड़ता है। इससे दिल का आकार बढ़ता रहता है और बाद में यह बेहद कमजोर होने लगता है। यही समस्या आगे चलकर हार्ट फेल्योर का कारण बनती है। हाइपरटेंशन के सही इलाज से मरीजों को व्यापक गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।
एंटीहाइपरटेंनसिव थेरेपी से हार्ट अटैक के मामलों में 20 से 25 फीसदी तक कमी लाई जा सकती है। हालाकि इससे पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता।वहीं, हार्ट फेल्योर के मामले भी औसतन 50 फीसदी से भी अधिक तक कम किये जा सकते हैं।
प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर के खतरे
प्रेगनेंसी के दौरान रक्तचाप के कारण बच्चे का विकास बाधित हो सकता है। गर्भावस्था में रक्तचाप बढ़ने की समस्या अधिक हो जाती है । बच्चे के लिए जरूरी विटामिन और प्रोटीन नही मिल पाता। इसका असर होने वाले बच्चे के वजन पर भी पड़ता है।
हाइपरटेंशन के कारण गर्भनाल को नुकसान हो सकता है। कुछ मामलों में गर्भनाल गर्भाशय से अलग हो जाता है। इसके कारण बच्चे की ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित होती है। महिला को रक्तस्राव भी हो सकता है।
गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर से समय से पूर्व डिलीवरी होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि महिला को गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है तो प्रसव के 20 सप्ताह बाद हृदय की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान उचित खानपान और नियमित चेकअप के जरिए इसकी जटिलताओं को कम किया जा सकता है।
हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) की जांच
रक्तचाप को मापना बहुत आसान है। ज्यादातर अस्पतालों में डॉक्टर से मिलने से पहले आपका ब्लड प्रेशर और वजन जांच लिया जाता है। कोई भी डॉक्टर किसी भी चीज का इलाज करने से पहले आपका वजन और रक्तचाप जरूर जांचता है । आमतौर पर ब्लड प्रेशर को लगातार जांचते रहने पर सही परिणाम मिलते हैं। केवल एक बार रीडिंग ज्यादा होने पर ही इसका इलाज नहीं किया जा सकता है।
आजकल बाजार में कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस मिलते हैं, जिनकी मदद से आप घर बैठे आसानी से अपना ब्लड प्रेशर चेक कर सकते हैं और इस पर नजर रख सकते हैं। शुरू में दवाओं को एडजस्ट करते समय ब्लड प्रेशर नाप कर एक गोल निश्चित किया जाता है। सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 mmHg से कम होता है। ब्लड प्रेशर के 130/80 mmHg से ज्यादा हो जाने पर इसे हाइपरटेंशन या हाई ब्लड प्रेशर की श्रेणी में रखते हैं।
जिन्हें डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर है, उनका ब्लड प्रेशर 130/80 या उससे कम होना चाहिए। अगर आपका ब्लड प्रेशर लागातार हाई रह रहा है तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है । ऐसी स्थिति में चिकित्सक आपको ब्लड प्रेशर के अलावा कुछ और आवश्यक जांच भी करवाने को कह सकता है जैसे : यूरिन टेस्ट , ब्लड टेस्ट,कोलेस्ट्रॉल टेस्ट , हार्ट की ईसीजी , हार्ट या किडनी का अल्ट्रासाउंड ।
हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) का इलाज
- प्राइमरी हाइपर टेंशन का इलाज - प्राइमरी हाइपरटेंशन को ठीक करने के लिए आपको कुछ दवाएं देते हैं जिनसे आपका ब्लड प्रेशर सामान्य रहता है । मगर इसके साथ ही जीवनशैली में जरूरी बदलाव की सलाह देते हैं क्योंकि प्राइमरी हाइपरटेंशन का मुख्य कारण ही जीवनशैली की अनियमितता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर आपको निम्न सलाह दे सकते हैं।
- नियमित चेकअप रक्तचाप को नियंत्रित रखने और हाई ब्लड प्रेशर से को बैलेंस रखने के लिए जरूरी है कि आप अपने ब्लड प्रेशर की नियमित जांच कराएं। स्वस्थ वयस्क व्यक्ति का सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर पारा 90 और 120 मिलीमीटर के बीच और सामान्य डायालोस्टिक रक्तचाप पारा 60 से 80 मिलीमीटर के बीच होता है।
- नमक का सेवन कम करें आपको अपने आहार में नमक का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए। अधिक मात्रा में नमक का सेवन, हृदय समस्याओं के खतरे को बढ़ाता है। यदि आप समय रहते अपने खान-पान पर ध्यान देंगे तो आपको भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी।
- कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखें आपको ऐसे आहार का सेवन नहीं करना चाहिए, जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है। कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने से रक्तचाप का स्तर भी बढ़ता है और इसका असर आपके हृदय पर भी पड़ता है। हृदय को तंदुरुस्त बनाए रखने के लिए मौसमी फलों और हरी सब्जियों के साथ ही मछली का सेवन करना चाहिए।
- गुस्सा कम करें अक्सर देखा जाता है कि जो लोग ज्यादा गुस्सा करते हैं, उनका रक्तचाप का स्तर भी अधिक होता है। गुस्से आपके जीवन पर नकारात्मक असर डालता है और ऐसे में आप तनाव में भी रहते हैं। तनाव दूर करने और रक्तचाप नियंत्रित करने के लिए आप मेडिटेशन और योग का सहारा ले सकते हैं।
- एल्कोहल से रहें दूर विशेषज्ञों के मुताबिक ज्यादा मात्रा में एल्कोहल का सेवन भी आपके ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है। एल्कोहल के सेवन से वजन बढ़ता है, भविष्य में यह आपके दिल के लिए भी नुकसानदेह हो सकता है। स्वास्थ्य और रहन-सहन पर ध्यान देकर आप हृदय संबंधी परेशानियों से बच सकते हैं।
- नियमित व्यायाम है लाभकारी नियमित व्यायाम करना आपकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। साथ ही व्यायाम आपका उच्च रक्तचाप और हृदय रोग से भी बचाव करता है। प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट का व्यायाम अवश्य करना चाहिए। यदि आप किसी रोग या समस्या से ग्रस्त हैं तो डॉक्टर से सलाह लें कि किस तरह का व्यायाम आपके लिए सही रहेगा।
- वजन को नियंत्रित करें सामान्य से ज्यादा वजन उच्च रक्तचाप का कारण होता है। यदि आपका वजन अधिक है, तो आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप अपने वजन को नियंत्रित रखें, इससे आपके रक्तचाप का स्तर भी नियंत्रित रहेगा।
- सेकेंडरी हाइपरटेंशन का इलाज - सेकेंडरी हाइपरटेंशन चूंकि शरीर की ही किसी समस्या के कारण होता है इसलिए ऐसे मामलों में डॉक्टर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने की दवा दे देते हैं मगर उनका मुख्य फोकस उस बीमारी को खत्म करना होता है जिसके कारण ब्लड प्रेशर हाई हुआ है। कई बार ये काम मुश्किल हो जाता है क्योंकि रोग के इलाज के लिए जो दवाएं उपलब्ध होती हैं, उन दवाओं के सेवन से ब्लड प्रेशर उल्टा बढ़ने लगता है। इसलिए ऐसे मामले में किसी योग्य चिकित्सक से ही सलाह लें। कई बार ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए दोनों तरह के ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है यानि रोग के इलाज की भी और जीवनशैली में बदलाव की भी, ऐसी स्थिति में चिकित्सक आपको उचित सलाह दे सकता है।
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